दिल्ली। जब से यूक्रेन पर रूस ने हमला किया है तब से पूरी दुनिया का ध्यान इस और है कि रूस के किए इस आक्रमण में कौन सा देश किस तरफ जाता है? पहले यह बात तो साफ हो गई थी कि अमेरिका के उकसावे में आकर यूक्रेन बहुत बड़ी गलती कर बैठा है, दूसरे देशों ने इस गलती से सबक लिया और जो भी देश अमेरिका के दम पर रूस और चीन जैसे देशों को आंखें दिखाते हैं उन्होंने भी यह सबक सीख लिया कि किसी भी राष्ट्र को अपनी रक्षा स्वयं ही करनी पड़ती है।
किसी भी राष्ट्र के राष्ट्रीय प्रतिनिधि का दूर दृष्टि वाला होना अति महत्वपूर्ण है! हवाएं किस ओर बह रही हैं इस चीज को भाँप लेने वाला एक कुशल शासक होता है. यूक्रेन और भारत की इस लड़ाई में भारत शुरू से ही न्यूट्रल भूमिका मैं रहा है भारत का कहना है कि वह शांति के पक्ष में है ना तो वे युक्रेन के साथ है और ना ही रूस के, लेकिन पश्चिमी देश भारत के इस रविय्ये को रूस के साथ होना मान रहे हैं कि भारत यदि रूस की निंदा नहीं कर रहा है तो वह रूस के साथ ही है।
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