December 23, 2024

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प्राकृतिक जल संसाधनों का विस्तृत भण्डार है उत्तराखंड ऋतु खण्डूडी भूषण

प्राकृतिक जल संसाधनों का विस्तृत भण्डार है उत्तराखंड ऋतु खण्डूडी भूषण

 

देहरादून । दून विश्वविद्यालय, परिसर में उत्तराखण्ड राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद् के 19वें राज्य स्तरीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी सम्मेलन के समापन सत्र में बतौर मुख्य अतिथि उत्तराखंड विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खण्डूडी भूषण ने प्रतिभाग किया।

उत्तराखण्ड राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद (यूकॉस्ट) राज्य में विज्ञान प्रौद्योगिकी एवं नवाचार को जन-जन तक पहुँचाने हेतु विगत वर्षों की भांति इस वर्ष भी विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी सम्मेलन का आयोजन किया गया। दो दिवसीय सम्मलेन के अंतिम सत्र में बतौर मुख्य अतिथि ऋतु खण्डूडी भूषण ने प्रतिभाग पर उपस्थित जनों को संबोधित किया।

सम्मेलन पर पहुंचने पर उत्तराखण्ड राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद (यूकॉस्ट) ने विधानसभा अध्यक्ष को सम्मलेन का स्मृति चिह्न भेंट कर उनका स्वागत सम्मान किया।

इस दौरान विधानसभा अध्यक्ष ने सम्मेलन में लगाए गए स्टालों का अवलोकन भी किया साथ ही 19वें विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी सम्मेलन से संदर्भित पुरस्कारों का वितरण भी अध्यक्ष विधानसभा द्वारा किया ।

कार्यक्रम में विधानसभा अध्यक्ष ने रेडियो एवं सूक्ष्म तरंगों की प्रकाशिकी पर कार्य करने वाले महान वैज्ञानिक, डॉ. जगदीश चंद्र बसु जी की जयंती पर उनको नमन करते हुए कहा कि
डॉ. जगदीश चंद्र बसु जी एक महान वैज्ञानिक थे, जिन्होंने रेडियो और सूक्ष्म तरंगों की प्रकाशिकी पर अद्वितीय शोध कार्य किया। उनके द्वारा किए गए प्रयोगों ने भारतीय विज्ञान एवं अनुसंधान को नई दिशा ऊंचाई प्रदान की व वैश्विक स्तर पर उनकी खोजों ने विज्ञान की दुनिया को एक नया दृष्टिकोण प्रदान किया। डॉ. बसु के कार्यों ने यह सिद्ध कर दिया कि जीवन केवल मनुष्यों तक सीमित नहीं है, बल्कि सम्पूर्ण प्रकृति में जीवन का एक अदृश्य और आत्मीय रूप है। उनके योगदानों के लिए हम हमेशा उनके प्रति कृतज्ञ रहेंगे।

विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि यूकॉस्ट के द्वार राज्य स्तरीय सम्मेलनों का स्वरूप दिन प्रतिवर्ष विशाल एवं व्यापक बनाया जा रहा है। यह बड़ी प्रसन्नता का विषय है कि इस वर्ष इस सम्मेलन का मुख्य विषय ‘उत्तराखण्ड में जल और प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन’ पर केंद्रित रहा। इस सम्मेलन में राज्य के दूर दराज और सीमान्त क्षेत्रों सहित राज्य भर से विज्ञान से संबंधित विभिन्न विषयों में लगभग 300 से भी अधिक मौलिक शोध पत्र प्रस्तुत किये गए और साथ ही कई सत्रों में महत्वपूर्ण विषयों पर गहन विचार विमर्श किया गया। मुझे विश्वास है कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी का यह सम्मेलन राज्य के सैंकड़ों विद्यार्थियों, शोध छात्रों, अध्यापकों एवं वैज्ञानिकों के लिए अत्यंत लाभप्रद सिद्ध होगा। उन्होंने कहा कि इस सम्मेलन में जिन शोधार्थियों को विभिन्न पुरस्कारों और सम्मान से नवाजा गया है उन सबको बधाई देते हुए मैं उनके उज्वल भविष्य की कामना करती हूँ।

विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि UCOST द्वारा प्रदेश में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी का मूलभूत इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने के लिए युद्ध स्तर पर कार्य किये जा रहे हैं। देहरादून में देश की पाँचवी साइंस सिटी का निर्माण हमारे जैसे छोटे पर्वतीय राज्य के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। हर जनपद में साइंस और इनोवेशन सेंटर, लैब्स ऑन व्हील्स, और विकास खंड स्तर पर STEM लैब्स के माध्यम से प्रदेश के सीमान्त सहित दूर दराज के क्षेत्रों में SCIENCE, TECHNOLOGY और INNOVATION का प्रसार किया जा रहा है जो अत्यंत प्रशंसनीय है।

श्रीमती खण्डूडी ने कहा कि प्रदेश की बालिकाओं को विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग तथा गणित जैसे विषयों में पारंगत बनाने के लिए UCOST विशेष रूप से प्रयासरत है जिसके लिए वे प्रो दुर्गेश पंत और उनकी पूरी टीम को बधाई भी दी ।

विधानसभा अध्यक्ष ने “सिलक्यारा टनल बचाव अभियान” को याद करते हुए कहा कि” हमारे माननीय मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी जी ने इस अभियान के नेतृत्व में जिस धैर्य, सूझबूझ, परिपक्वता और निर्णायक क्षमता का परिचय दिया, उससे उनकी नेतृत्व क्षमता विश्व भर में आपदा प्रबंधन से जुड़े हुए लोगों के लिए एक मिशाल बन चुकी है। 17 दिनों के अथक प्रयास और संघर्ष के उपरांत सभी 41 श्रमिक भाईयों को सुरक्षित बाहर निकालना आपदा प्रबंधन हेतु संगठित प्रयासों का एक अनूठा उदाहरण है। और जिन विषम परिस्थितियों और जिन चुनौतियों के बीच सिलक्यारा बचाव अभियान चलाया गया उसकी जितनी प्रशंसा की जाय कम है।

इस दौरान प्रोफेसर डीन दून विश्वविद्यालय एच सी पुरोहित, कुलपति दून विश्वविद्यालय सुरेखा डंगवाल, महानिदेशक यू कास्ट , प्रो दुर्गेश पंत, आयोजन सचिव 19वीं राज्य स्तरीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी सम्मेलन डॉ डी पी उनियाल, एच एस बिष्ट ,डायरेक्ट csir आई आई पी देहरादून आदि उपस्थित रहे।

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