भारतीय जनता पार्टी पिछले सात साल से अपने प्रमुख राजनीतिक पण्डित नरेन्द्र दामोदरदास मोदी के नेतृत्व में पूरे भारत पर विजय पताका फहराने के लिए ’’अश्वमेघ यज्ञ‘‘ का आयोजन कर रही है, बरीक सवा साल पहले कांग्रेस की एक ज्योति (ज्योतिरादित्य सिंधिया) प्रज्वलित कर महायज्ञ में जीत के लिए आहुतियां डाली जा रही थी, उस ज्योति को प्रज्वलित कर अनुष्ठान करने से मध्यप्रदेश की सरकार का नैबैध भाजपा को मिल गया और अब इस ‘महायज्ञ’ की सफलता हेतु भाजपा को कांग्रेस का ‘प्रसाद’ मिल गया है। इस प्रसाद को ग्रहण कर भाजपा की उम्मीद है कि उसे अगले चुनाव में उत्तरप्रदेश फिर से मिल जाएगा, इसी उम्मीद में उसने इस ‘कांग्रेसी प्रसाद’ (जितिन प्रसाद) को शिरोधार्य कर लिया है। भाजपा को यह उम्मीद भी है कि पार्टी के हवाई जहाज को मरूभूमि (राजस्थान) में उड़ाने के लिए एक युवा ‘पायलट’ भी शीघ्र ही मिल जाएगा, उसके बाद पार्टी हवा से बात करने की महारत हासिल कर लगी।
….किंतु आज यहां सवाल भाजपा के मजबूत होने का नहीं बल्कि कांग्रेस के कमजोर होने का है, कांग्रेस देश की सबसे पुरानी पार्टी है, जिसकी उम्र करीब डेढ़ सौ साल है, जबकि भारतीय जनता पार्टी उसकी पौती के उम्र की अर्थात्् 41 साल की है, कांग्रेस का इतिहास स्वतंत्रता संग्राम से लेकर आजादी के बाद करीब साठ साल देश पर राज करने का है और इस अवधि में देश के करीब-करीब सभी राज्यों पर कांग्रेस ने ’एकछत्र‘ राज किया, किंतु अब अपनी उम्र के इस पड़ाव पर उसकी ठीक से देखरेख के अभाव में वह काफी गंभीर रूप से बीमार हो गई है और पुरानी यादों के ‘वेंटिलेटर’ पर आखरी सांसे गिन रही है, पार्टी को इस स्थिति में पहुंचाने के मुख्य दोषी इसके संचालनकर्ता है, नेहरू के बाद उनकी बेटी इंदिरा ने इसे पूरे जोश-खरोश व दबंगता से चलाया, इंदिरा जी के बाद उनके ‘पॉयलट’ बेटे राजीव ने भी राजनीतिक अनुभव व ज्ञान नहीं होने के बावजूद बखूबी चलाया, किंतु राजीव की हत्या के बाद कांग्रेस जो लड़खड़ाई तो वह आज तीस वर्ष गुजर जाने के बाद भी ठीक से संभल नहीं पा रही है, विदेशी बहू (सोनिया) व उनका अज्ञानी बेटी (राहुल) इसे पतन के गहरी गुफा में धक्का देने से चुक नहीं रहे है और जिस तरह डूबते जहाज से सबसे पहले मूषकराज जहाज छोड़कर भागते है, उसी तरह इस पार्टी की युवा पीढ़ी एक के बाद एक कांग्रेस के डूबते जहाज को छोडकर भाग रहें हैं और यह सिलसिला अंतहीन प्रतीत हो रहा है क्योंकि ज्योतिरादित्य और जितिन प्रसाद के बाद अब सचिन पायलट भागने वालों की कतार में सबसे आगे खड़े है।
यहाँ यह भी उल्लेखनीय है कि इस पार्टी की सिर्फ युवा पीढी ही नहीं बुजुर्ग पीढी भी पार्टी के वर्तमान कर्ताधर्ताओं से परेशान होकर अपने घरों में बैठने को मजबूर है। गुलाम नबी आजाद, कपिल सिब्बल आदि अनेक वरिष्ठ नेता है, जो यह दंश झेल रहे है। दुरूख तो इस बात का है कि सोनिया गांधी पिछले तीन दशक से पार्टी अध्यक्ष रहने के बावजूद राजनीति को समझ नही पाई और उनके पुत्रमोह की उन्होने पार्टी से अधिक वरियता दी और पार्टी दिनों-दिन अंधेरे गर्त में गिरने को मजबूर होती चली गई, उसका परिणाम यह हुआ कि पार्टी की सत्ता तीन चार राज्यों तक ही सिमट कर रह गई और ’हायकमान‘ की धमक खत्म हो जाने से ये मुट्ठी भर राज्य भी टूटने के कगार पर खड़े हो गए है। ….और इसकी भी किसी को कोई चिंता नहीं है।
अब इसका परिणाम यह सामने आ रहा है कि पोती (भाजपा) अपनी दादी (कांग्रेस) की ”राष्ट्रीय स्तर“ की विरासत को छीनने की तैयारी में है, और चूंकि देश में कांग्रेस व भाजपा के अलावा कोई तीसरी पार्टी को ’राष्ट्रीय स्तर का दर्जा‘ प्राप्त नहीं है, क्योंकि वे सब अपने-अपने राज्यों तक ही सीमित है और कांग्रेस सिकुडती जा रही है, इसलिए अकेली भाजपा ही ’राष्ट्रीय स्तर‘ के राजनीतिक दल का ’तमगा‘ लगाए घूमेगी और बाकी सब दल मौन होकर उसका ’कीर्ति जुलूस‘ देखते रहेगें।
इस तरह कुल मिलाकर सबसे पुरानी पार्टीका ’हाथ‘ वरद्हस्त की पदवी प्राप्त करने के बजाय ’टाटा‘ करने की स्थिति में आ गया है जबकि भाजपा का ’कमल‘ और अधिक चमक के साथ खिलने की तैयारी कर रहा है। किंतु आज देश को भाजपा का कमल पूरी क्षमता से खिलने की उतनी खुशी नहीं है, जितनी कि ’वरदहस्त‘ (हाथ) द्वारा देश को ’टाटा‘ करने की मुद्रा से…। अब देश को इस बात का भय भी है कि ’चक्रवर्ती‘ की चाहत वाली भाजपा कहीं सत्ता पाकर दंभी न हो जाए, जिसके कि अभी से ”पूत के लक्खन पालने में नजर आने लगे है“ क्योंकि जब कोई सामने प्रतिद्वन्दी नहीं हो तो अक्सर ऐसा ही होता आया है।
News Portal
More Stories
मुख्यमंत्री ने केंद्रीय रेल मंत्री से की मुलाकात, टनकपुर से बालाजी तक नई रेल सेवा प्रारम्भ करने का किया अनुरोध
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने की प्रधानमंत्री से मुलाकात
नए वर्ष की सभी देश व प्रदेश वासियों को बहुत-बहुत शुभकामनाएं : विकास गर्ग