चेन्नई। तमिलनाडु के मंदिरों में अब महिलाओं को भी पुजारी बनने का मौका मिलेगा। इस बात का ऐलान तमिलनाडु में हिंदू मंदिरों के प्रशासन के प्रभारी मंत्री शेखर बाबू ने किया। उन्होंने कहा सिर्फ उन महिलाओं को पुजारी के तौर पर नियुक्त किया जाएगा जिन्हें आगम शास्त्र के बारे में जानकारी होगी।
उल्लेखनीय है कि आगम शास्त्र मंदिरों में पूजा करने की एक विधा है। मंत्री के इस ऐलान से तमिलनाडु के मंदिरों में महिलाओं के पुजारी बनने के लेकर बहस छिड़ गई है। शेखर बाबू ने कहा कि इस मुद्दे को लेकर सरकार से किसी भी स्तर पर फिलहाल चर्चा नहीं हुई है। लेकिन वे इस पर विचार करेंगे और अगर आगम शास्त्र में ट्रेंड महिलाएं मंदिर के पुजारियों की भूमिका निभाना चाहती हैं तो वो सभी इंतजाम करेंगे।
उन्होंने कहा जब मीडिया वालों ने मुझसे पूछा कि क्या महिलाओं को मंदिर के पुजारियों की भूमिका निभाने की अनुमति दी जाएगी, तो मैंने कहा कि आगम शास्त्र में प्रशिक्षित लोगों को अनुमति दी जाएगी। हम निश्चित रूप से उन पर विचार करेंगे। इस तरह के विचार को सामाजिक स्वीकृति के बारे में पूछे जाने पर, शेखर बाबू ने कहा कि वो उन सभी पहलुओं और अन्य व्यावहारिक चीजों पर भी विचार करेंगे। उनके मुताबिक इसमें मासिक धर्म के दौरान अनुष्ठानों से दूर रहने के लिए महिलाओं के लिए पांच दिन की छुट्टी भी शामिल है।
बता दें कि महिलाओं को तमिलनाडु में पुजारी बनाने को लेकर लंबा विवाद रहा है। साल 2008 में मद्रास हाईकोर्ट ने एक आदेश में एक महिला पुजारी को उनके पिता की मृत्यु के बाद मंदिर में पूजा करने की अनुमति दी थी। महिला के पिता उसी मंदिर में पुजारी थे। हालांकि उनके पिता की 2006 में मृत्यु हो गई थी, लेकिन पिता के बीमार होने के कारण बेटी साल 2004 से ही उस मंदिर में पूजा कर रही थी। उनकी मृत्यु के बाद गांववालों ने इस पर आपत्ति जताई थी। उच्च न्यायालय ने कहा था कि कानून का कोई प्रावधान महिला को मंदिर में पूजा करने से नहीं रोक सकता। अदालत ने कहा कि केवल पुरुष ही पुजारी हो सकता है, इसका कोई कानूनी या तथ्यात्मक आधार उपलब्ध नहीं है।
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